कुल्लू की भाषा कुलुई, कुलवी, कुल्लुई, कुल्लवी आदि नामों से जानी जाती है। यह भाषा हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार के हिन्द-आर्य उपशाखा में आती है और पश्चिमी पहाड़ी यानि हिमाचली भाषाओँ के अन्तर्गत वर्गीकृत है। कुलुई हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिला में बोली जाती है। भारत की जनगणना २००१ की जानकारी के अनुसार कुलुई भाषा बोलने वालों की संख्या १७०,००७ है।

हिमाचल प्रदेश की राजभाषा हिंदी है। कुलुई आधिकारिक भाषा भी नहीं, उसका कोई मानकीकृत रूप भी नहीं और यह मुख्यतः दैनिक संचार के लिए प्रयुक्त होती है। कुलुई भाषा लुप्तप्राय भाषाओं की सूचि में तो नहीं लेकिन आधुनिक ज़माने में उसका उपयोग बच्चों और युवाओं के बीच में कम हो जा रहा है। कुछ लोग हिंदी और अंग्रेजी को ज़्यादा महत्व देते हुए अपने बच्चों के साथ ये भाषाएँ बोलना पसंद करते हैं और फिर बच्चे कुलुई भाषा नहीं बोल पाते।

बीसवीं सदी के मध्य तक कुलुई के लिए टांकरी लिपि (जो गुरमुखी से थोड़ा मिलती है) प्रयुक्त होती थी, आज-कल लोग देवनागरी में लिखते हैं। कुलुई का लिखित रूप मानकीकृत नहीं किया गया है। सोशल नेटवर्कों में लोग रोमन लिपि का प्रयोग भी करते हैं।

हिमाचल प्रदेश में स्कूलों में पढाई हिंदी या अंग्रेजी में होती है, कुलुई भाषा एक स्कूल के विषय की तरह भी पढाई नहीं जाती।